30 दिनों में प्रभावी और सफल वक्ता बनने के रहस्य 30 dino me prabhavi aur safal vakta banane ke rahasya
संसार में इस तरह की कई किताबें पहले से लिखी जा चुकी हैं | यह एक ऐसा कॉमन टॉपिक है जिसपर पूरे वर्ल्ड में अलग-अलग भाषाओं में सैकड़ों और हजारों लाखों की संख्या में पहले किताबें लिखी जा चुकी हैं | यह एक बहुत ही बड़ा और विस्तृत विशाल विषय है, इसलिए यह बिल्कुल नहीं कहा जा सकता कि इस सब्जेक्ट पर लिखी गई यह पहली बुक है| लेकिन अक्सर किताबों में theorotical बातें ज्यादा लिखी जाती है और practical बातों पर कम ध्यान दिया जाता है|
यह किताब इसलिए खास है कि यह एक ऐसी प्रति है, एक ऐसा पिटारा है जो किसी भी इंसान की जिंदगी में चार चांद लगा सकता है| उसे दुनिया से अलग खड़ा कर सकता है| उसे इस दुनिया की भीड़ में अपनी जगह बनाने के लिए एक सहारा दे सकती है| जो इंसान आगे बढ़ना चाहता हो और जिसे पब्लिक स्पीकर बनने की ललक हो| दावे के साथ इस किताब के बारे में इतना कुछ कहना केवल इसलिए संभव है क्योंकि इस किताब के अंदर मेरे जीवन के पिछले 15 साल के निजी अनुभव और 15 साल की वह सारी प्रैक्टिकल बातें समाहित की है, जिन बातों ने मुझे सहारा दिया, हौसला दिया, ज्ञान दिया,सीखने कि ललक पैदा की, जिज्ञासा पैदा की, मेरी भाषा शैली में सुधार किया, और मुझे बोलने पर , आगे बढ़ने पर मजबूर किया| अंततः मुझे आज की इस प्रतिस्पर्धा भरी जिंदगी में अपनी जगह बनाने के लायक बनाया| इन्हीं सब कारणों से इस किताब को एक खास किताब का दर्जा दे रहा हूं| क्योंकि मेरा यह मानना है कि सरस्वती बांटने से बढ़ती है और संजोने से घटती है| इसलिए मां शारदे को, मां सरस्वती को, विद्या को बांटना चाहिए| जब मैं यह सोचता हूं कि मैंने मेहनत और अपने कर्म प्रगती के कारण खोजा, ढूंढा, मेहनत करी, और पाया, शिखा, आगे बढ़ा, अपनी जगह बनाई, जब मुझे विद्या की देवी सरस्वती ने इतना कुछ दिया तो अब यह समाज को ही समर्पित किया जाना चाहिए| इसे मेरे जैसे, आपके जैसे हजारों लाखों और करोड़ों युवाओं तक पहुंचाऊ| आप तक पहुंचाने का मुझे एक ही जरिया लगा| वो है लेखन एक किताब के रूप में| इसलिए मैंने इस किताब को खास किताब समझकर आपके समक्ष पेश करने की इच्छा जाहिर की| यह किताब बिल्कुल प्रैक्टिकल है| जब मैं कहता हूं कि यह किताब खास है तो इसकी मुख्य खासियत की कुछ बातें हैं जैसे कि …
जब आप पढ़ेंगे तब आपको लगेगा कि सच में आप ऐसा ही कर रहे हैं जैसा आप चाहते हैं |
इस किताब में बिल्कुल भी किताबी ज्ञान बांटने की कोशिश नहीं की गई है| पूर्ण रूप से यह कोशिश की गई है कि प्रैक्टिकल बाते की जाये|
एक वक्ता के सामने आने वाली छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी समस्याओं पर गौर करके सभी को इसमें समाहित किया गया है|
अक्सर वक्ता को शुरुआत में ही बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और 100 में से 98% पब्लिक स्पीकर बनने की इच्छा रखने वाले युवा फर्स्ट स्टेज में ही मात खा जाते हैं | इसलिए इस किताब में उस फर्स्ट स्टेज को पार करने पर बहुत जोर दिया गया है| वहां पर काफी प्रैक्टिकल सॉल्यूशंस दिए गए हैं जो छोटी-छोटी समस्याएं सामने आती है|
आप इस किताब को इसलिए खास समझें और मैं इसलिए खास समझता हूं कि आदमी किसी भी काम की प्रथम स्टेज पार कर लेता है तो वह आधी लड़ाई जीत लेता है| इस किताब में पब्लिक स्पीकिंग की शुरुआत में आने वाली हर समस्या पर जोर दिया गया है| उसके हल को ही मध्यनजर रखते हुए सारी प्रैक्टिकल बातें कही गई हैं |
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