सोच के प्रकार
सोच सोच होती है इंसान के दिमाग में आने वाले विचारों को हम सोच कहते हैं । इंसान के जैसे विचार होते हैं ऐसा कहा जाता है कि उसकी जैसी सोच है जैसी बात करता है जैसी सोचता है जैसी बातें करता है उसी से सामने वाले को सुनने वाले को पता चलता है कि वह कैसी सोच रखता है, वह कैसा इंसान है ।
सोचने और विचारों से जिस तरीके के इंसान का पता चलता है उसी के आधार पर सोच को डिवाइड किया जा सकता है जिस तरीके का इंसान सोचता है, उसके लिहाज से और उसी के आधार पर सोचने वाले के और जिसके बारे में बहुत सोच रहा है , उसके ऊपर और उसकी सोच को सुनने वाले के ऊपर उसकी सोच के अनुसार उसके परिवेश पर , परिवार, समाज और उससे जुड़े हुए लोगों पर उसकी सोच का जैसा असर पड़ता है; उसी के आधार पर सोच को मुख्य तौर पर दो भागों में विभाजित किया गया है ।
सकारात्मक सोच
नकारात्मक सोच
इंसान यदि अच्छा सोचेगा, अच्छा देखेगा, अच्छा बोलेगा , अच्छी कल्पना करेगा, अच्छे अच्छे विचार अपने जीवन में लाएगा तो उस बात का उसकी खुद की जिंदगी में, उसके परिवार में, उसके दोस्तों में, उससे जुड़े हुए समस्त दोस्तों में और उन समस्त लोगों में जिसके बारे में सोच रहा है उसके ऊपर एक अच्छा बेहतरीन प्रभाव पड़ेगा और उसके परिणाम बहुत सुंदर और बहुत ही बढ़िया आएंगे; इस तरीके की सोच को, इस तरीके की कल्पना शक्ति को हम सकारात्मक सोच कहते हैं ।
यदि कोई इंसान अपने विचारों में शुद्धता नही रखता है । किसी के प्रति गंदी सोच सकता है , यदि कोई इंसान ऐसा गलत सोचता है, ऐसा खराब होता है जिसका असर उसकी जिंदगी में भी खराब पड़ता है उसके दूरगामी परिणाम आते हैं , खराब परिणाम आते हैं । जिसके बारे में वह सोच रहा है उसके ऊपर भी उसका गलत असर पड़ता है और उसकी सोच का उसके आसपास में भी बहुत बुरा असर पड़ता है उससे लोग कटते जाते हैं । हमेशा गंदी बातें करता है, गलत बात करता है, किसी की बात काटता है, किसी को सुनने को तैयार नहीं होता और उसके परिणाम उसके जीवन में और उससे जुड़े हुए लोगों के जीवन में बहुत ही दुष्प्रभावी परिणाम आते हैं । इस तरीके की सोच यदि कोई इंसान रखता है तो उस सोच को हम नकारात्मक सोच कह सकते हैं ।
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