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संतों की संगति का असर

 साधु की संगति का फल

साधु और संत या किसी शिक्षित इंसान या किसी बुद्धिजीवी इंसान अच्छे लोग एथिकल वैल्यूज मोरल कर्तव्य और नैतिक मूल्यों के साथ में चलने वाले बुद्धिजीवी अच्छे इंसानों की संगति का फल क्या होता है उसकी उनका असर क्या होता है I

ऐसा कहते हैं कि अच्छे लोगों के साथ में रहने से अच्छी संगति और अच्छी बुद्धि मिलती है I अच्छे भविष्य का विकास होता है इंसान गलत रास्तों पर जाने से बच जाता है क्योंकि अच्छे इंसानों की अच्छी आदतें होती है और उसके इन उनके साथ में जो भी रहता है उसकी भी आदतें धीरे-धीरे अच्छी हो जाती हैं और जिस इंसान की आदतें अच्छी हो उसका भविष्य निश्चित तौर पर अच्छा और सकारात्मक ही होता है  और जब इंसान सकारात्मक माहौल के साथ में रहता है तो उसकी सफलता भी सकारात्मकता की ओर बढ़ जाती है वह इंसान निश्चित तौर पर सफलता को प्राप्त कर लेता है अपने लक्ष्य को हासिल करने और इस तरीके के आध्यात्मिक और बौद्धिक विकास से परिपूर्ण इंसानों के साथ जब इंसान रहता है तो वह भी अपने बौद्धिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास को भी गति देता है और वह भी सफलता को छू लेता है I

इसी तरह इंसान यदि नकारात्मक लोगों के साथ में रहता है जिनकी आदतें खराब हो जिनकी संगति खराब हो जो प्रवृत्तियों में लिप्त हो ऐसे इंसानों की संगति से इंसान जो उनके साथ रहता है वह भी गलत रास्ता पकड़ लेता है कोयले के साथ में सोना काला हुए बिना नहीं रह सकता गंदी मिट्टी के साथ में अच्छी चीजें गंदगी में हुए बिना नहीं रह सकती इसी तरह यदि नकारात्मक लोगों के साथ में हम भी रहेंगे तो हमारा भी माहौल और हमारी भी आदत है नकारात्मक आदतें बन जाएगी और जिसकी आदतें ही नकारात्मक हो जिसकी आदत ही खराब हो जिसकी आदतें ही गंदी हो जो प्रवृत्तियों में लिप्त हो वह इंसान क्या सफलता को छुएगा,  क्या सफलता हासिल करेगा बिल्कुल नहीं कर सकता I मैं आपको ऐसी बेहतरीन सकारात्मक कहानी सुनाना चाहता हूं जो कहानी हमें यह बहुत करवाती है कि यदि हमारे घर में साधु संतों का आना जाना है यदि हमारे घर में अच्छे लोगों की संगति है अच्छे लोगों का उठना बैठना है तो उसका असर कहीं न कहीं हमें पड़ता ही है हमारे जीवन में क्या उसका असर होता है कब असर होता है वह हमें बोध होता हैI

साधु की शब्दों को समझने की और एक संत की एक बुद्धिजीवी इंसान की एक शिक्षित पढ़े लिखे इंसान की आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण इंसान की बौद्धिक क्षमता कितनी होती है वह किस तरह से एक इंसान के जीवन में सिर्फ अपने शब्दों से और वाक्यों से किस तरह परिवर्तन ला सकता है I

उनकी द्वारा बताएं कि कुछ रास्ते कुछ बातें जीवन बदल सकती हैं जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन ला सकती हैं एक नकारात्मक रास्ते पर जा रहे हैं इंसान को गलत प्रवृत्तियों में इंसान को गलत आदतों में उलझे हुए इंसान को अपने शब्दों के माध्यम से अपने वाक्यों के माध्यम से अपने और अपने शिक्षकों के माध्यम से एक सही रास्ते पर लाकर उसका जीवन  संवार  सकते हैं I

 आइए सुनते हैं वह कहानी

एक बार एक समय की बात है एक किसी बहुत ही सुदूर गांव में एक गरीब छोटा सा परिवार रहता था लेकिन वह परिवार संस्कारों से परिपूर्ण बौद्धिक और आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण परिवार था उस परिवार में हर समय पूजा-पाठ धर्म अध्यात्म का बोलबाला रहता था साधु संतों का आना-जाना कुछ घर में अक्सर लगा रहता था इस कारण उनका पूरा परिवार साधु-संतों और उनके अच्छे आचरण की वजह से काफी प्रभावित रहता था धीरे-धीरे करते-करते उस परिवार में एक बिटिया पैदा हुई धीरे धीरे धीरे बिटिया बड़ी हुई अब अब ऐसे करते-करते बिटिया शादी लायक होती है और बिटिया की शादी हो जाती है इस पूरे पीरियड के दौरान साधु संत उनके घर में आते जाते रहते हैं उन्हें अच्छे संस्कार देते रहते हैं पूजा-पाठ धर्म अध्यात्म आदि चीजें अच्छे संस्कार इमानदारी इंसानियत आदि सारी चीजें सत्संग में उनके घर में होने वाली भजन संध्या मंडली सत संगत संगत में यह सारी चीजें चलती रहती थी और बिटिया शादी तक हो शादी लायक होने तक इन सारे गुणों से वह बिल्कुल परिपूर्ण हो चुकी थी I

 

लेकिन कभी-कभी समय इस कदर करवट बदलता है समय कभी-कभी प्रिया इस तरीके से बदल जाता है जिसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है वह कहते हैं कि त्रिया चरित्रं पुरुषस्य भाग्यम स्त्री का चरित्र और पुरुष का भाग्य कब बदल जाए कोई भरोसा नहीं कर सकते I

कुछ समय इस कि कुछ इसी समय कुछ इसी तरह इस बच्चे के साथ में भी समय इस तरह करवट बदलता है कि वह बच्ची एक संस्कारवान घर की होते हुए उसकी शादी कुछ ऐसे परिवार में होती है जिस परिवार में संस्कारों से कोई लेना देना नहीं होता है अपने ससुराल में कुछ समय बिताती है और कुछ समय बाद में उसका पति किसी बड़े महानगर की ओर चल जाता है वहां जाकर वहां संस्कार हीन बालक किसी ऐसी गंदी प्रवृत्तियों में लिप्त हो जाता है कि वह कुछ गैर औरतों के साथ में लिप्त होकर वह बिल्कुल ही अपनी दुनिया, मां ,बाप, भाई ,बहन , पत्नी सब कुछ भूल जाता है और वह वहीं पर समय बिताने लगता हैI

समय बीतता जाता है समय बीतता जाता है और धीरे-धीरे वह साधु भी उन बच्ची के मां-बाप के परिवार में आना जाना कम कर देते हैं और ऐसे करते करते एक लंबा 10 वर्ष का समय बीत जाता है ना तो वह लड़का घर आता है ना वह लड़की अपने ससुराल में खुशी और शांति से रह पाती है घुट घुट कर अपना समय बिताती रहती है इसी तरह चलते चलते कुछ समय पश्चात वह साधु एक दिन घूमते घूमते अपने बच्चे के मां बाप के घर फिर मिलने आते हैं और संयोग ऐसा बनता है कि उस दिन वह लड़की उन्हीं मां-बाप के घर में अपने पीहर में आई हुई होती है लड़की का लड़की का वह भाग लड़की का वह चेहरा लड़की की दशा देखकर साधु-संत उसके चेहरे की लकीरें पहचान गए क्योंकि लड़की बहुत परेशान थी गुरुजी उससे पूछ रहे हैं  गुरुजी से पूछने लगते हैं लेकिन वह यह न केन प्रकारेण टालने की कोशिश करती है पर गुरुजी अक्सर अंतर समझ जाते हैं कि तुम चाहे कुछ भी करो मुझे बताओ दुख क्या है

बच्ची अंततः गुरुजी के सामने अपनी सारी की सारी व्यथा बताती है कि मेरे साथ में इस तरीके की घटना हो रखी है और मेरा पति जिससे मैं खूब प्यार करती हूं जिससे मैं खुद चाहती हूं लेकिन वह पिछले 10 वर्षों से मुझे छोड़ कर किसी बड़े महानगर में औरतों के साथ में इस तरीके से आदतों में लिप्त हुआ पड़ा हैI

गुरुजी उस बच्ची से कहते हैं कि बेटा कोई बात नहीं क्या मुझे उसका बाहर का कोई एड्रेस पता मिल सकता है बिल्कुल गुरु जी को जहां रहता है वहां का एड्रेस पता निकाल कर देती है और गुरु जी को आशीर्वाद देकर उसके सर पर हाथ रखकर चिंता मत करो बेटा समय आएगा सब अच्छा होगा अच्छे का फल अच्छा ही मिलता है और बुरे का फल बुरा ही मिलता है आप चिंता मत करिए ऐसा बोलकर गुरु जी वहां से चल पड़ते हैंi

यह येन केन प्रकारेण घूमते घूमते समय निकाल निकालने निकलता गया लेकिन आखिर ढूंढ जहां लड़का रहता जहां लड़का और जगह पर था

गुरुजी उस जगह पहुंचते हैं और पहुंच करके भापे उस लड़के को बुलाने की कोशिश करते हैं लेकिन वह ऊपर की मंजिल पर सो रहा था उनके साथ में नीचे आने को तैयार नहीं हो रहा था ऐसे करते-करते गुरुजी ने एक चिट्ठी लिख कर भेजी थी कोई साधु आपसे मिलने आया है और 1 मिनट का वक्त निकालकर तुम नीचे आओ लड़का बच्चे ठीक पड़ता है और नीचे आता है क्योंकि कहीं ना कहीं शुरुआती दौर में उसने भी उनको देख रखा था अपने ससुराल में उनके बारे में सुन रखा था वह नीचे नीचे आता है और साधु जी उसको कुछ भी नहीं बोलते हैं उसके उसको आगे आने के लिए कहते हैं और उस लड़के के कान के पास जाकर सिर्फ एक शब्द कहते हैं

किसी को कहना मत

 

इतना कहकर गुरु जी वहां से चुपचाप चल देते हैं लड़का चिल्लाने लगता है अरे किसी को नहीं कहने वाले थे किसी को नहीं बताना मैंने कुछ सुनाई नहीं मैं क्या कहूंगा किसी को आप बताते जाइए आप क्यों आए थे सुनिए मेरी बात को लेकिन वहां से चुपचाप अपना रास्ता पकड़ कर चल दिएI

लड़का कन्फ्यूजन की स्थिति में सोचते सोचते सोचते ऊपर जा रहा है कि क्या कहा क्यों आए थे क्या नहीं का वह कुछ भी समझ में नहीं आया  नहीं आया है लड़का धीरे-धीरे कन्फ्यूजन की स्थिति में ऊपर जाता है और वह लड़की के पास जैसे ही पहुंचता है वह लड़की उसे पूछती है कि फोन आया था क्या हुआ जरा बताइए अब लड़के के पास में ना तो कुछ कहने के लिए है ना कुछ एक्सप्लेन करने के लिए ना कुछ बताने के लिए वह आखिर काहे तो क्या कहें वह लड़का कहता है कि कुछ नहीं हुआ कुछ नहीं हुआ नहीं क्या बताया कुछ गुरुजी कान में कह कर गए हैं मैं देख रही थी वह तो आपके कान में कुछ कह कर गए हैं वह लड़की उसे कहती है बताना ही पड़ेगा लड़का कहता है कुछ है ही नहीं फिर वह लड़का कहता है कि लड़की के लड़का बोलता है मुझे कहा है

किसी को कहना मत

इस बात को सुनकर वह लड़की जिसके साथ खाता पीता था सारी कमाई वह लड़की जिसके प्रेम मे वाले तथा सारी कमाई नहीं लगाता था वह लड़की खड़ी होकर उसके छाती में लात मारकर कहती है कि अच्छा मेरे साथ खाना पीना मेरे साथ रहना करना मेरे साथ उठना बैठना और मुझे ही नहीं बताना मुझे ही बताने के लिए मना किया है मुझे ही नहीं बताओगे फिर वह एक लात मारती हो कहती है यदि मुझसे प्रीत करके दी मुझसे छुपा होगे तो निकल जाओ यहां से वह लड़की उसे लात मारती है और वह लड़का दूसरी मंजिल से सीढ़ियों में गिरता गिरता धड़ाम धड़ाम धड़ाम नीचे आता है जैसे ही वह नीचे आकर लोड करके चोट में चोटिल होकर खड़ा होता है उसकी दोनों आंखें खुलती है और वह अपने आप से सवाल करता है अरे यार यह तो पूरी दुनियाजिसके प्रेम मे वाले तथा सारी कमाई नहीं लगाता था वह लड़की खड़ी होकर उसके छाती में लात मारकर कहती है कि अच्छा मेरे साथ खाना पीना मेरे साथ रहना करना मेरे साथ उठना बैठना और मुझे ही नहीं बताना मुझे ही बताने के लिए मना किया है मुझे ही नहीं बताओगे फिर वह एक लात मारती हो कहती है यदि मुझसे प्रीत करके दी मुझसे छुपा होगे तो निकल जाओ यहां से वह लड़की उसे लात मारती है और वह लड़का दूसरी मंजिल से सीढ़ियों में गिरता गिरता धड़ाम धड़ाम धड़ाम नीचे आता है जैसे वह नीचे आकर लोड करके चोट में चोटिल होकर खड़ा होता है उसकी दोनों आंखें खुलती है और वह अपने आप से सवाल करता है अरे यार यह तो पूरी दुनिया यह दुनिया तो झूठी है जिसके साथ मैंने मेरा पिछले 10 वर्ष का सब कुछ दांव पर लगा दिया उस लड़की ने मेरे छाती में लात मारकर मुझे आज यहां से भगा दिया इसका मतलब दुनिया कोई किसी की नहीं है आखिर अपने तो अपने होते हैं वह लड़का वहां से बोरिया बिस्तर पैक करता है और अपने घर को लौट आता हैi

साथ एक उस एक शब्द एक वाक्य उस लड़के को अपने घर तक ले आता है और वह लड़का घर में आकर सभी लोगों से माफी मांगता है सभी से माफी मांग कर एक नया जीवन शुरु करता है वह सभी के साथ में प्रेम से रहता है अपनी पत्नी को खूब प्रेम देता है और अपनी पत्नी के साथ में व जीवन की नैया को आगे बढ़ाता है साधु भी

घर मिल घर परिवार समाज संघ सब कुछ उन दोनों का बेहतरीन तरीके से चलने लगता है और वह दोनों मिलकर के उन साधुओं के चरणों में जाते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं उनके घर भी साधु संतों का आना जाना चालू हो जाता है लड़का अपनी जिंदगी को बेहतरीन तरीके से जीना शुरु कर देता हैi

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 बस यही फल होता है एक साधु संत और अच्छे इंसान के साथ में रहने का I

यही कहानी आप  youtube पर सुनना चाहते हे तो इस विडियो पर जाएँ

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